! माँँ कहानी सुनाती रही रात भर !
!माँ कहानी सुनाती रही रात भर!
मापनी :- २१२ २१२ २१२ २१२
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माँ थपकती सुलाती रही रात भर।
लोरियां गुनगुनाती रही रात भर।
नींद से आँख बोझिल पड़े थे मगर,
चांद मुझको दिखाती रही रात भर।
खुद न खाया तनिक भी वो भूखी रही,
रक्त अपना पिलाती रही रात भर।
दे दिये मुस्कुराहट मुझे आपने,
अश्क अपना छुपाती रही रात भर।
जब तलक था न सोया सचिन गोद में,
तू कहानी सुनाती रही रात भर।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार