महेश्वर
अति प्राचीन यह पौराणिक नगरी,
कितनी सुंदर है यह मनोरम प्यारी,
महेश का वास है कहलाता महेश्वर,
होलकर वंश का किला अति सुंदर,
माँ रेवा बहती यहाँ नित्य कल कल,
सबको मिलता है मन चाहा फल,
दूर दूर से आते जन करते दर्शन,
अहिल्याबाई को करते सब नमन,
पाषाण कला का है सुंदर चित्र,
देख देख चकित होते है नेत्र,
यहाँ की महेश्वर साड़ी प्रसिद्ध,
गुप्त काशी यह स्थान है सिद्ध,
मण्डन मिश्र का हुआ था वो शास्त्रार्थ,
शंकराचार्य जी ने दिया हर तर्क का अर्थ,
होल्कर वंश की थी यह राजधानी,
उनकी छुपी यहाँ वीरता की कहानी,
एक कथा यह भी है बड़ी सुंदर,
सहस्त्रबाहू ने रोक दी थी नदी धार,
लंका पति रावण को यहाँ हराया,
ग्यारह शीश पर यहाँ दीप जलाया,
।।।जेपीएल।।।