*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】
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(1)
महॅंगी कला बेचना है तो, चलिए लंदन-धाम
जितनी दूर माल बेचोगे, होगा उतना नाम
(2)
जीवन बीत गया घर की, थाली में खाना खाते
फोटो खिंचवाओ होटल में, अब तो देकर दाम
(3)
चाहे जैसा भरो माल, डिब्बे के अंदर भैया
पैकेट शानदार हो बाहर, रखो सुनहरा काम
(4)
मंत्री का पद जिन्हें नहीं, मिल पाया वह बेचारे
कहते हैं बेकार हो गई, कोशिश करी तमाम
(5)
जीवन धन्य उसी का जिसने, मंत्री का पद पाया
हुआ ‘खास’ झटके में देखो, अब तक था जो ‘आम’
(6)
जब तक नहीं दुपहरी आए, बिस्तर को मत छोड़ो
जल्दी बूढ़े होना है तो, करना मत व्यायाम
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451