महिला काव्य
महिला ही इस खलक की
सदा से ही है जगत जननी
कामिनी के बिन यह संसार
ना बढ़ सकता अग्र कभी ।
महिलाओं को पूर्ण रूप से
सरकारें भी करती समन्वय
आज रमणियां इस भव में
छूटी बड़ी- बड़ी शिखरों को ।
बहन, माता हो या कोई महिला
यही हमारे इस जगत की जाया
सदा करे हम सब इनका ख्याति
यही हम सब मनुजों का मूल कर्म ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार