महिला दिवस
कितने महिला दिवस मनाओ
अन्तर्राष्ट्रीयता की ओर बढ़ाओ
बेटी पढाओ , सम्मान दिलाओ
पर तू नारी है बेचारगी ही रहेगी
युगों से यहीं कहानी गढ़ती रही
कारण है दिमाग में गंदगी भरी है ।
पुरूष प्रधान समाज है मानते है
इस पुरूष की जन्मदात्री मानते है
लक्ष्मी , नारायणी दुर्गा है जानते है
अवनि से अम्बर तक स्वीकारते
पर पुरूष का अहं , दम्भ
उसकी दीर्घता को न माने ।
कारण है दिमाग में गंदगी भरी है ।