#कुंडलिया//महिला-दिवस की बधाइयाँ
नारी सूरत शौर्य की , नवल सृजन आधार।
पाती कितनी भूमिका , करती हर साकार।।
करती हर साकार , क्षेत्र हर में है छायी।
अबला सबला आज , देता है मन बधायी।
सुन प्रीतम की बात , काट काटे ज्यों आरी।
संकट को दे मात , शक्ति रूप हुई नारी।
नारी आदर कीजिए , घर-आँगन का मान।
सुर यह जीवन गीत का , सुर बिन कैसा गान।।
सुर बिन कैसा गान , ज्ञान ये समझो प्यारे।
माँ बहनों के मान , दुलारे होते सारे।
सुन प्रीतम की बात , सोच जनहित में जारी।
आने को दिन देख , पुरुष से ऊँची नारी।
नारी मूरत प्रेम की , गीता का है सार।
घर की लक्ष्मी मानिए , देकर सब अधिकार।।
देकर सब अधिकार , सदा मन को हर्षाए।
पाकर हर संस्कार , स्वर्ग घर-आँगन लाए।
सुन प्रीतम की बात , न मीरा जग से हारी।
तुलसी की थी सीख , रत्नावली भी नारी।
#आर.एस. ‘प्रीतम’