महिला की महिमा
तुम तरस खाते हो,इसलिए महिला है,
तुम रहम करो,इसलिए कि वो कन्या है,
कि लड़की है, तुम में कतई समझ नहीं,
वो तुम्हारे वजूद की एक कडी है,
कहो तुम्हें बधाई हैं, भलाई है इसी में.
तुम अपनी कद्र तो करना ही चाहिए.
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महिला की महिमा सुनकर दिल सहमा,
नीचे धरती ऊपर आसमां.है ना.
होश जगा सजग हुआ बोध हुआ सहसा.
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महेन्द्र सिंह हंस