श्रंगार छन्द
श्रंगार छन्द
16मात्राएँ
लगा दो मेरी नैया पार।
आस ले आया तेरे द्वार।
करूँ मैं बिनती बारम्बार।
मुझे कर देना भव से पार।
हुआ माँ दास बड़ा लाचार।
करो अब बिनती तुम स्वीकार।
करो सब सपने माँ साकार।
यही है तुमसे अब दरकार।
अभिनव मिश्र अदम्य