महाशिवरात्रि (शिव) दोहा
महाशिवरात्रि (शिव)
दोहा
महाशिवरात्रि आ गयी, शुरू हुआ शुभ काज,
परिणय दिवस मना रहें,शिव गौरी का आज ।
मस्तक शिव के चांद है,सर पर गंगे धार ,
अवघड़धानी नाथ हैं,पहने भुजंग हार ।
भस्म बदन लिपटे हुए ,निकली शिव बारात ,
त्रिनेत्रधारी देव की ,अनुपम थी बारात ।
पत्नी उनकी पार्वती ,कर सोलह श्रृंगार ,
पल-पल राह ताक रही, करने रूप निहार।
शिव शंकर का नाम लें,हट जाते संताप ,
पूजा इनकी कीजिए,मिट जायेंगें पाप।
दीपाली कालरा