महाभुजंग प्रयात सवैया
महाभुजंगप्रयात सवैया (यगण×8)
महा नीच पापी पुजारी न ध्यानी,
प्रभो चाह मेरी तुम्हें मात्र पाना।
पता है मुझे अल्पज्ञानी भले हूँ,
तुम्हीं में छुपा है खुशी का खजाना।
कहूँ बात सच्ची सुनो हे मुरारी,
न आता मुझे है बहाने बनाना।
यही एक इच्छा जले नेह बाती,
मिले पास तेरे मुझे भी ठिकाना।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय