महाभारत की नींव
महाभारत जैसे भीषण युद्ध ,
की नींव कौरव पांडवों के परस्पर
वैमनस्य से नही पड़ी।
द्रोपदी के द्वारा दुर्योधन के
अपमान से भी नहीं,
द्रोपदी के सभा में अपमानित
होने से भी नहीं,
श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता उपदेश
देने से भी नही ,
महाभारत की नींव पड़ी ,
राजा शांतनु द्वारा अपने सर्वगुण संपन्न ,
और योग्य पुत्र के साथ घोर अन्याय से।
ना रखा जिन्होंने खुद पर संयम ,
ना रखी कोई मर्यादा,
और अपने पुत्र के साथ अन्याय कर डाला।
सत्यवती की अजन्मी संतान ,
हेतु उसके सभी अधिकार छीन लिए ।
उससे अखंड ब्रह्मचर्य का व्रत लेकर ,
उसका जीवन कांटों की सेज बना दिया ।
बस ! यही से पड़ी महाभारत की नींव ।
क्या बिगड़ जाता ,
यदि खुद पर संयम रखते ।
क्या बिगड़ जाता ,
यदि खुद का ब्याह न कर
युवा होते युवराज देवव्रत का ब्याह रचाते।
और अंत में उसे शासक बना कर ,
वनवास ले लेते ।
परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ ।
वाह री नियति !
तूने क्या खेल रचाया।
बेचारे ,मासूम देवव्रत के जीवन को ,
कांटों की सेज बना दिया ।
इस घोर अन्याय के अंकुर से ही ,
महाभारत युद्ध की विभीषिका का ,
जहरीला वृक्ष उपजना था ।
सो उपज गया
तो यूं समझो !महाभारत का आरंभ
देवव्रत के साथ हुए अन्याय से हुआ ।