महाप्रलय
🐎महाप्रलय 🐎
आ गया है वक्त अब,
कलयुग का अंत होंगा।
गऊ श्राप के कारण
अब महाप्रलय होगा।।
जिस धरती पर होती थी पूजा,
हरित क्रांति अऊ गऊ माताकी,
उस आंगन में लुट रही है।
श्रृंगार धरती माता की।।
कोरोना के महाकाल में,
हर प्राणी को रोना होगा।
गऊ श्राप के कारण पापी,
अब महाप्रलय होगा।।
भुल गये लोगन अब,
धर्म ध्वजा कें धुली को।
बंशी की महिमा भुल गये,
भुल गये,पंचामृत गोधुलि को।।
दशो दिशा में हां हां कार,
संतों की वाणी तय होगी।
गऊ श्राप के कारण पापी,
अब महाप्रलय होगी।।
उबल पड़ेगा सागर की लहरें
ज्वालामुखी,भुकम्प के अंगारे।
भ्रष्ट होते हैं नेतागण,
पर भी होता जयकारें।।
सत्य होता परेशान अभी,
असत्य मय दुनिया होगा।
गऊ श्राप के कारण पापी,
अब महाप्रलय होगा।।
भुख प्यासे गऊ माता
,गली सड़क पर घुमती है।
गौशाला के नाम पर,
चींटी उन पर झुमती है।।
मर रहीं हैं गौंए गौशाला पे,
तड़पने उनका लक्ष्य होगा।
गऊ श्राप के कारण पापी,
अब महाप्रलय होगा।।
जिस आंगन में उछल कुद,
मगन होते थे बछड़े।
दुध,दही पंचामृत की
बहते थे गंगे।।
वह आंगन अब सुना सुना सा
मरघट में विलय होगा।
गऊ श्राप के कारण पापी,
अब महाप्रलय होगा।।
वक्त अभी कुछ बाकी है,
कुछ पुण्य धारण कर लो,।
महाप्रलय न देखने मिलें
पुण्य प्रतापी काम कर लो।।
अन्यथा पुण्यतिथि मय
धरातल होगा,।
गऊ श्राप के कारण पापी
अब महाप्रलय होगा।।
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़