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20 Oct 2021 · 1 min read

महान राष्ट्र

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स्थिर हो राष्ट्र तो,
महान होने की संभावना तो है।
पर, होनी चाहिए प्रतिबद्धता स्थिर।
खण्डित मन में राजनीति नहीं।
और राजनीति में खण्डित मन नहीं।
महानता शब्द में आबद्ध न हो
आबद्ध हो महानता में शब्द।
संकल्प के, प्रण के और प्राण के।
राजनीति की उपलब्धि स्वतन्त्रता हो
वैयक्तिक और राष्ट्रीय।
और स्वतन्त्रता की उपलब्धि
समूहिक राजनीति।
स्वतन्त्रता अक्षुण्ण हो
यह राजनीति की उपलब्धि है और
इसकी उपलब्धता भी।
राष्ट्रवाद क्या महान राष्ट्र का कारक है?
संभवत: नहीं,अधिनायकतंत्र का अवश्य।
राष्ट्रवाद से बेहतर सर्वहितवाद है।
या प्रजावाद।
प्रजावाद में प्रजातन्त्र है सर्वोपरि।
पर,प्रजातन्त्र में व्यक्तित्व के टोले हैं।
मैं,तुम,वह के सर्वनामिक सोच भी।
राष्ट्र में आकांक्षा यदि व्यक्तिवादी हो तो
यह विद्वेष है।
विद्वेष और युद्ध का चोली दामन का साथ है।
और विजय युद्ध का ही पर्याय।
भाय,अशक्तता और अनिश्चितता का बड़वानल।
राष्ट्रगीत से राष्ट्र महान नहीं बनता।
यह अनंत को अंत में है करना सीमित।
इसे व्योम में न दें बिखरने बल्कि,
वसुधा में बदलें।
विधि-विधान की यात्रा
प्रशस्त राजपथ से उतरे।
आम सपनों के अन्तर्मन को अर्थ दे।
महान राष्ट्र आम सपनों की महानता में है निहित।
राजनैतिक धर्म और
धार्मिक राजनीति में नहीं समाहित।
————————

Language: Hindi
196 Views
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