महान क्रांतिकारी भगत सिंह जन्मदिवस विशेष
#भगतसिंह
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है,
मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है।
स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले शौर्य व पराक्रम के अद्वितीय प्रतीक,अमर बलिदानी सरदार भगत सिंह जी की जयंती पर सादर नमन..!!
भगत सिंह को भारत के युवाओं से बहुत आशाएं थीं उन्होंने अपने एक लेख जो की 16 मई 1925 में मतवाला में युवक शीर्षक से छपा था लिखा है
– अगर रक्त की भेंट चाहिए तो सिवा युवक के कौन देगा? अगर तुम बलिदान चाहते हो तो तुम्हे युवक की ओर देखना होगा। प्रत्येक जाति के भाग्य विधाता युवक ही होते हैं। सच्चा देशभक्त युवक बिना झिझक मौत का आलिंगन करता है, संगीनों के सामने छाती खोलकर डट जाता है, तोप के मुंह पर बैठकर मुस्कुराता है, बेड़ियों की झनकार पर राष्ट्रीय गान गाता है और फांसी के तख्ते पर हंसते हंसते चढ़ जाता है।
अमेरिकी युवा पैट्रिक हेनरी ने कहा था, जेल की दीवारों के बाहर जिंदगी बड़ी महंगी है। पर, जेल की काल कोठरियों की जिंदगी और भी महंगी है क्योंकि वहां यह स्वतंत्रता संग्राम के मू्ल्य रूप में चुकाई जाती है। ऐ भारतीय युवक ! तू क्यों गफलत की नींद में पड़ा बेखबर सो रहा है। उठ! अब अधिक मत सो। सोना हो तो अनंत निद्रा की गोद में जाकर सो रहा। धिक्कार है तेरी निर्जीवता पर। तेरे पूर्वज भी नतमस्तक हैं इस नपुंसत्व पर। यदि अब भी तेरे किसी अंग में कुछ हया बाकी हो तो उठकर माता के दूध की लाज रख, उसके उद्धार का बीड़ा उठा, उसके आंसुओं की एक एक बूंद की सौगंध ले, उसका बेड़ा पार कर और मुक्त कंठ से बोल- वंदे मातरम!”
काकोरी केस के सेनानियों को भगत सिंह ने सलामी देते हुए एक लेख लिखा था जो जनवरी 1928 में किरती में छपा था जिसमे उन के मन की पीड़ा स्पष्ट झलकती है उन्होंने लिख है – हम लोग आह भरकर समझ लेते हैं कि हमारा फर्ज पूरा हो गया। हमें आग नहीं लगती। हम तड़प नहीं उठते। हम इतने मुर्दा हो गए हैं। आज वे भूख हड़ताल कर रहे हैं। तड़प रहे हैं। हम चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। ईश्वर उन्हें बल और शक्ति दे कि वे वीरता से अपने दिन पूरे करें और उन वीरों के बलिदान रंग लाएं।”
इतिहास साक्षी है कि युवाओं ने सदैव समय की पुकार को सुना है। चाहे क्रान्ति आध्यात्मिक, सांस्कृतिक रही हो अथवा फिर राजनैतिक एवं सामाजिक। भगत सिंह ने जो ज्योति भारतीय युवाओं के मन मस्तिष्क में जलाई है वो अक्षुण्य है। ऐतिहासिक परिवर्तन के इस दौर में भगत सिंह ने समग्र क्रांति के लिए युवाओं का आह्वान किया है। आज जहां एकतरफा असुरता अपना पूरा जोर लगाकर सर्वतोन्मुखी विध्वंस का दृश्य प्रस्तुत करने पर तुली है, तो वहीं सृजन की असीम सम्भावनाएं भी अपनी दैवी प्रयास में सक्रिय हैं।
इस बेला में युवा हृदय से यह आशा की जा रही है कि वे अपनी मूर्छा, जड़ता, संकीर्ण स्वार्थ एवं अहमन्यता को त्यागकर भगत सिंह के अभूतपूर्व साहसिक अदम्य व्यक्तित्व का अनुगमन कर स्वयं एवं अपने समाज, राष्ट्र व विश्व के उज्ज्वल भविष्य को साकार करने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाएं।
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