महान कलाकार स्व श्री रविन्द्र जैन जी की याद में…
जनमांध थे परंतु प्रभु ने उन्हें दिव्य ज्ञान,
रविंद्र जैन जी थे कलाकार एक महान ।
द्वापर युग के महान भक्ति कवि सूरदास थे ,
और एक कलयुग के हमारे कवि महान ।
प्रभु के प्रेम में मग्न जब पुकारते ” कृष्णा”,
ऐसा समर्पण सभी के लिए नहीं आसान ।
उनकी भक्ति गीत और संगीत थे अद्वितीय ,
दिल के तारों को झंकृत करती हर तान ।
कलाकार थे वो सर्वगुण सम्पन्न ,होनहार ,
साहित्य ,संगीत ,गायन सभी में बेजोड़ ज्ञान ।
उनके संगीत से आती थी भारतीयता की गंध,
झलकती थी जिसमें देश की आत्मा महान ।
चक्षु न देकर भी प्रभु ने दिव्य गुणों से संवारा
साहित्य/ कला मर्मज्ञ परंतु ना था अभिमान।
शीतल , सौम्य , मिलनसार व् हंसमुख स्वभाव ,
चाहे अपना हो या पराया सबसे स्नेह समान।
उनसे हमें बिछड़े कितने ही बरस हो जाएं परंतु ,
नही भुला सकते गीत संगीत में उनका योगदान।
गायक ,संगीतकार/लेखक के रूप में याद रहेंगे,
उनकी तमाम रचनाएं हैं अनमोल निधि समान।
जब तक है दुनिया उनका नाम अमर रहेगा हमेशा ,
उनकी सदाचारित व् कला का होता रहेगा गुणगान।