महादेव
नैनों में ज्योति है और कानों में श्रवण शक्ति
प्राण है शरीर में और कारण है अकारण का
देवों में महादेव ताप है वो अग्नी का
भूखे की भूख है वो स्वर है वो चारण का
भक्तों का वशीभूत सहायक असहाय का है
मंत्र की है शक्ति और साधन है तारण का
राग भी अनुराग भी है और वैराग्य भी है
सर्व सुलभ पथ है वो कष्ट के निवारण का
…….. अशोक मिश्र