महात्मा सूरदास
हैं ये साहित्य के महाकवि
भक्ति काल कृष्ण भक्त सूर।
भक्तिमय काव्य सुगन्ध शोभित
सोम सुरा मिलता भरपूर।।।
मिले वृजभाषा की श्रेष्ठता
मिलता रस छन्दों का सार।
अद्भुत मुद अनुपम भाव मिले
मिलते कृष्ण प्रेम उद्गार।।
चौदह सौ अठहत्तर जन्मे
जन्मे थे कविवर सूरदास।
सीही में रामदास के घर ,
फैला उज्ज्वल मधुर प्रकाश।।
कवियों ने जन जन ने माना
थे कवि सूरदास जन्मान्ध।
अनुपम लेखन मधुरिम कौशल
हुए नही कभी भी मदांध।।
शब्द शब्द सब अमृत पागे,
हैं पागे सब छंद विधान।
साहित्यलहरी सूरसागर,
सूरसारावली गुण खान