महाकाल तुझको है नमन
काल का भी काल तूँ, हे महाकाल तुझको है नमन,
हे त्रिनेत्र, जटा गंगाधारी, चंन्द्र भाल तुझको है नमन।
रुद्र रूप तेरा प्रलयकारी, भोला भी है भोलेनाथ तूँ,
हे संहारक तांडवकर्ता, हे भूतकाल तुझको है नमन।।
जगत मिथ्या एक सत्य तूँ, हे अखण्ड सत्यम तुझको है नमन,
मैं अज्ञान सा निर्बोध प्राणी, तू अजन्मा शिवम तुझको है नमन।
हे नीलकंठ, हे अविनाशी, हे कैलाशी, ओम्कार सुशोभितम,
उदात्त भाल स्वरूपम, दीप्तिमान सुंदरम तुझको है नमन।।
करे भक्त यह विनती तेरा, कैलाशधिश तुझको है नमन,
धर शीश कर दुख दूर कर, दे आशीष तुझको है नमन।
तू सहांरक दर्दनाशक, तूँ ही तो हलाहल विषपान कर्ता,
करजोर विनती शम्भु तेरा, दे बख़्सिस तुझको है नमन।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०४/०३/२०१८)