#महसूस_करें…
#महसूस_करें…
■ नक़ली दुनिया का असली सच…!!
【प्रणय प्रभात】
इस चमकदार संसार का ऊपरी और अंदरूनी सच आपस में कभी मेल नहीं खा सकता। इसी की एक मिसाल है आकर्षण में विकर्षण और विकर्षण में आकर्षण। आज़मा कर देखिएगा कभी ख़ुद।
आप जिस किसी की ओर भागेंगे वो बहुत जल्द आपसे दूर भागने लगेगा। किसी को पता भर चल जाए बस कि उसकी किसी के दिल में, दिमाग़ में या नज़र में कहीं कुछ अहमियत है। उसकी औक़ात तत्काल बाहर निकल आएगी।
आप जिसे भी उसके मूल्य का आभास कराऐंगे, उसी की निगाहों में खुद बेमोल हो जाऐंगे।
इसके विपरीत जब आप उल्टी दिशा में भागना शुरू करेंगे तो पाऐंगे कि लोग आपके पीछे हैं। प्रमाण हैं सांसारिक और सन्यासी। एक भीड़ में होकर अकेले, दूसरे के पीछे दुनिया के मेले।
मतलब वही सब झमेले, जिनसे भागने के लिए उसने ख़ुद को तन्हा किया था। यह अलग बात है कि पहले कोफ़्त होती है, फिर रसानुभूति होने लगती है। वैरागियों को भी।
तात्पर्य बस यह कि अमूल्य वह जो पहुंच में नहीं। फिर चाहे वो गूलर का फूल हो या ऊबड़-खाबड़ धरातल वाला चाँद। उपलब्ध होने के बाद ईंधन बनता मलयागिरि का चंदन हो या फिर सहज-सरल बना कोई संबंध। कुल मिला कर सारा खेल नाज़-नखरों और अदाओं का है। क़ीमत उसकी, जिसके लिए तमाम तरह के पापड़ शिद्दत और मशक़्क़त से बेलने पड़ें। सब्र के चरखे पर इंतज़ार का सूत कातना पड़े। अब ख़ुद सोचिए क्या सही है और क्या ग़लत..? आपके अपने लिए।
हो सकता है कि आपको उजली दुनिया का काला सच पता चल जाए। आप समझ पाएं कि आपको छलने या ठगने वाला कोई और नहीं, आप ख़ुद हैं। आप ख़ुद मनचाहे भरम और मुग़ालतो में जीने के आदी हैं। यक़ीनन अपने अवमूल्यन के ज़िम्मेदार भी। आपकी अवमानना आपकी अपनी बेबसी और परजीविता की देन है।।
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)