महसूस किया करना
मेरे आग़ोश की गर्मी को महसूस किया करना
तुम मेरी तरफ़ से अपने होंठ चूम लिया करना।
हवा के झोंकों पे मैं हाल-ए-दिल लिखूँगा तुम्हें
तुम अपनी साँसों से मेरे ख़त पढ़ लिया करना।
मेरा आना तुम्हारे पास अब मुम्किन नहीं होगा
मेरी तरफ़ से अपना ख़याल रख लिया करना।
कभी तन्हाई की गोद में गर अकेले कहीं बेठो
मेरी शरारतें याद करके तुम हँस लिया करना।
जन्नत से भी तुम मुझे साफ़-साफ़ दिखती हो
तुम तारों की झुरमुट में मुझे देख लिया करना।
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’