महबूब
अपने दामन को
आंसुओं से
जी भर के
भिगोया है उसने ।
गुजरे लम्हो को
यादों के लफ्जों से
किताब के पन्नो मे
दोहराया है उसने ।
कोरे कागज पे
कलम की स्याही से
हर इक गम को आईना
दिखाया है उसने ।
किसी और के साथ
गली से गुजरते
आज अपने महबूब को
देखा है उसने ।।
राज विग 25.04.2020