महबूबा से
आख़िर किसने कहा कि-तुम मेरे हम बिस्तर बनो!
नासूर हो चुके-मेरे ज़ख्मों के लिए-तुम नश्तर बनो!!
इंकलाबी तेवर के लिए-जब दी जाए सूली मुझे तो!
तमाशबीन भीड़ में एक-तुम मेरे हमसफ़र बनो!!
Shekhar Chandra Mitra
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