Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
ओनिका सेतिया 'अनु '
210 Followers
Follow
Report Content
19 Dec 2021 · 1 min read
महफिल की रुसवाई
ऐसे उठकर जा रहे है वोह महफिल मेरी ,
जिंदगी से रूठकर जैसे चला जाता है कोई।
Language:
Hindi
Tag:
शेर
Like
Share
1 Like
·
2 Comments
· 159 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
धरती की पुकार
Onika Setia "Anu"
You may also like:
शिष्य
Shashi Mahajan
" नई चढ़ाई चढ़ना है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
3707.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
जगदीश लववंशी
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"दो नावों पर"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ हाथ भी ना आया
Dalveer Singh
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
DrLakshman Jha Parimal
Plastic Plastic Everywhere.....
R. H. SRIDEVI
मन की पीड़ा क
Neeraj Agarwal
#पैरोडी-
*प्रणय प्रभात*
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ना जाने क्यों तुम,
Dr. Man Mohan Krishna
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
Sampada
मैं तुलसी तेरे आँगन की
Shashi kala vyas
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
सत्य की खोज
dks.lhp
*द लीला पैलेस, जयपुर में तीन दिन दो रात्रि प्रवास : 26, 27, 28 अगस्त 202
Ravi Prakash
हँसी!
कविता झा ‘गीत’
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुश्किलें
Sonam Puneet Dubey
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
मैं पुरखों के घर आया था
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अव्दय
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
मेरे लिए
Shweta Soni
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Quote Of The Day
Saransh Singh 'Priyam'
Loading...