महफ़िल सजा रहे हैं Vinit Singh Shayar
क्या बात है कि हम यूँ गुनगुना रहे हैं
इंतज़ार में किसके महफ़िल सजा रहे हैं
मैं हूँ भी यहाँ पर या मैं हूँ कहीं और
मौला मेरे ये कैसा मंज़र दिखा रहे हैं
कोई ज़वाब तो दे दे मेरे सवाल का अब
क्या सबब है वो हमारे क़रीब आ रहे हैं
वो सामने हैं बैठें गुलाब लेके और हम
बेवफ़ाई वाले ही सारे गीत गा रहे हैं
हो गए हैं शामिल वो भी अब ग़ैरों में
हम पे वो किस तरह से सितम ढा रहे हैं
मेरा सर बना निशाना लोगों के पत्थर का
और बाल में अपने वो गजरा लगा रहे हैं
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar