महज सांसों का चलना रह गया है
महज सांसों का चलना रह गया है,
बिछड़ करके भी मुझमें रह गया है
मैं खुद बाकी नहीं मुझमें जरा भी,
बस इतना सा रिश्ता रह गया है।
©अनुराग “अंजान”
महज सांसों का चलना रह गया है,
बिछड़ करके भी मुझमें रह गया है
मैं खुद बाकी नहीं मुझमें जरा भी,
बस इतना सा रिश्ता रह गया है।
©अनुराग “अंजान”