महक सा गया
महक सा गया
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वक्त गुजरा सिखाकर सबक सा गया
एक पत्ता हवा से सरक सा गया
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ओस की बूँद सुन्दर लगी फूल पर
अश्क जैसे खुशी का छलक सा गया
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डाल पर हर कली झूमने लग पड़ी
मस्तमन श्याम भंवरा बहक सा गया
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बह चली जब हवा फूल को चूमकर
खुशनुमा हो चमन भी महक सा गया
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पंछियों से भरा है शजर देखिए
शाम ढलने लगी मन चहक सा गया
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य