महक बाकी भी तक है
छुआ था जुल्फ को तेरी, महक बाकी अभी तक है
पुरानी उस मुहब्बत की, कसक बाकी अभी तक है
छनन छन पायलों की सुन, जगा हूँ ख्वाव में हर पल
तुम्हारी चूड़ियों की वो, खनक बाकी अभी तक है
पुरानी हो गयी है अब, भले ही डाल फूलों की
मगर वो बचपने वाली, लचक बाकी अभी तक है
अमावस रात थी लम्बी, अँधेरे से लड़ा दम भर
दिया बुझने लगा लेकिन, चमक बाकी अभी तक है
जमी तो है जरा सी राख उस अंगार पर, लेकिन
कहीं अन्दर धधकती वो, लहक बाकी अभी तक है
निगाहें हट नहीं पाती, कहाँ तक रास्ते बदलें
तुम्हारे घर को’ जाती जो, सड़क बाकी अभी तक है