Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2021 · 6 min read

महक – कहानी

महक – कहानी
किसी गाँव के एक ओर मुहाने पर एक झोपड़ी जिसमें परिवार में कुल तीन लोग रहते हैं बुधिया , उसकी पत्नी रामवती और बेटी महक | एक झोपड़ी वो भी सरकारी जमीन पर खड़ी है यही उनकी एकमात्र संपत्ति है | झोपड़ी में न तो बिजली की व्यवस्था है न ही पानी का कोई व्यक्तिगत साधन | गाँव के केवल संपन्न परिवारों के पास बिजली उपलब्ध है | बुधिया और उसकी पत्नी रामवती को महक के जन्म पर यह आस थी कि शायद यह बच्ची जिसका जन्म अभी – अभी हुआ है | घर को खुशियों से महका देगी | सो उसका नाम महक रख दिया | बुधिया और रामवती पेशे से खेतिहर मजदूर हैं | रोज कमाओ रोज खाओ और जिस दिन काम न मिले तो फाके |
महक के बुधिया और रामवती के जीवन में आने से मानो घर खुशियों से महक गया | उसकी प्यारी – प्यारी शरारतें बहुत अच्छी लगती थीं | महक धीरे – धीरे बड़ी होने लगी | बुधिया और रामवती अपनी बेटी महक को खेतिहर मजदूर नहीं बनाना चाहते थे | वे चाहते थे कि महक बड़ी होकर अपने पैरों पर खड़ी हो और उनका नाम रोशन करे |
एक बार गाँव के पास की तहसील में मेला लगा | बुधिया और रामवती अपनी बेटी महक के साथ मेला देखने गए | आते समय बुधिया एक किताबों की दुकान से महक के लिए गिनती और अक्षरों की एक किताब ले आया | बुधिया और रामवती बहुत कम पढ़े लिखे थे पर उन्हें अक्षरों और अंकों का ज्ञान तो था | बुधिया पांचवी और रामवती चौथी कक्षा पास | जब भी समय मिलता वे महक को अक्षरों और अंकों के बारे में बताते | लिखने के लिए महक ने जमीन को अपना सहारा बनाया | वह जमीन पर अक्षर उकेरती और मिटाती | धीरे – धीरे महक को गिनती और अक्षर ज्ञान हो गया |
अब महक को स्कूल भेजने की बारी आई तो एक दिन बुधिया अपनी बेटी महक को लेकर सरकारी प्राथमिक शाला में गया | सरकारी स्कूल में कुल एक शिक्षक है जो कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाता है | वह बुधिया से कहता है तुम तो खेतिहर मजदूर हो | महक को पढ़ाकर क्या करोगे | थोड़ी बड़ी हो जाए तो इसे भी खेत पर काम में लगा देना घर में आमदनी भी हो जायेगी | पर बुधिया को उस शिक्षक की बात पसंद नहीं आई | और उसने महक का प्राथमिक स्कूल में नाम लिखा दिया |
महक की पढ़ाई शुरू हो गयी | गाँव के जमींदारों को महक का पढ़ना रास नहीं आ रहा था क्योंकि गाँव में नीची जात के लोगों को पढ़ने से हमेशा रोका जाता था | खैर महक की पढ़ाई चल निकली | वह अब कक्षा आठ में पहुँच गयी | आठवीं कक्षा में महक ने अपनी तहसील में प्रथम स्थान प्राप्त किया और अपने गाँव का नाम रोशन किया | गाँव की ऊंची जमात के लोगों को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था फिर भी ऊपरी मन से उस बच्ची महक की तारीफ़ चारों ओर हो रही थी | आठवीं पास कर लेने के बाद अब समस्या थी कि गाँव में कोई हायर सेकेंडरी स्कूल नहीं होने की वजह से महक के माता – पिता को पास की तहसील में स्थित हायर सेकेंडरी स्कूल में महक का एडमिशन करना पड़ा जहां उन्हें सरकार की ओर से बनाए गए आदिवासी कल्याण छात्रावास में महक को जगह मिल गयी | रहने और खाने की समस्या भी दूर हो गयी | महक के माता – पिता अब निश्चिंत हो गए | बीच – बीच में वे महक को देख जाते और उसकी पढ़ाई के बारे में जानकारी भी ले जाते | महक पढ़ाई में होनहार के साथ – साथ सुसंस्कृत भी थी | आखिरकार चार वर्ष की मेहनत के बाद महक ने बारहवीं कक्षा में पूरे जिले में पहला स्थान प्राप्त कर पूरे जिले में अपने गाँव का नाम रोशन कर दिया | सरकार की ओर से उसे मासिक छात्रवृति भी दी जाने लगी | महक के माता – पिता की ख़ुशी का ठिकाना न रहा |
महक ने आगे की पढ़ाई के लिए अपने माता – पिता से बात की | पर उसके माता – पिता ने उसकी आगे की पढ़ाई के लिए असमर्थता जताई | इसके बाद भी महक का आगे की पढ़ाई करने का हौसला बरकरार रहा | उसने इसके लिए गाँव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक से बात की ताकि वे कोई रास्ता बता सकें | प्राथमिक स्कूल के शिक्षक ने उसे घर पर रहकर आगे की पढ़ाई जारी रखने को कहा | उन्होंने कहा कि वह प्राइवेट से आगे की पढ़ाई कर सकती है इसके लिए उसे किताबों और नोट्स की जरूरत होगी | किताबों और नोटबुक्स की व्यवस्था मैं कर दूंगा | शिक्षक महोदय ने आगे कहा कि नोट्स कैसे बनाए जाते हैं वह मैं तुम्हें सिखा दूंगा | साथ ही तुम घर पर रहकर गाँव के गरीब बच्चों को पढ़ाकर अपना बहुमूल्य योगदान भी दे सकती है | इसके अलावा वह घर पर रहकर प्रशासनिक सेवा की परीक्षा की तैयारी भी कर सकती है | इसी बीच तुम्हारा ग्रेजुएशन भी पूरा हो जाएगा | शिक्षक महोदय की बात महक को समझ आ गयी और उसने शिक्षक महोदय का धन्यवाद किया |
महक ने यह बात अपने माता – पिता को भी बतायी वे भी इस बात को सुन बहुत खुश हुए | अब महक घर के काम में भी हाथ बंटाने लगी गाँव के बच्चों को भी पढ़ाने लगी और अपनी बी ए की पढ़ाई भी करने लगी | बीच – बीच में समय मिलता तो वह अपनी प्रशासनिक सेवा परीक्षा की भी तैयारी करने लगी | प्राथमिक स्कूल के शिक्षक महोदय बीच – बीच में उसे तैयारी के बारे में समझा जाते थे | आखिरकार उसकी मेहनत रंग लायी | बी ए की अंतिम वर्ष की परीक्षा में भी वह बहुत ही अच्छे अंकों से पास हुई | घर में ख़ुशी का वातावरण निर्मित हो गया | पर गाँव के जमींदारों को यह बात रास नहीं आ रही थी |
बी ए पास करने के तुरंत बाद महक ने तहसीलदार के पद के लिए आवेदन किया | महक इस पद के लिए तैयारी तो पहले से ही कर रही थी इसलिए उसे इस परीक्षा को अच्छे अंकों से पास करने में कोई कठिनाई महसूस नहीं हुई | अब बारी थी इंटरव्यू की | इसका कोई अनुभव महक के पास नहीं था | इसलिए वह गाँव के प्राथमिक शिक्षक महोदय के पास गयी और उनसे आशीर्वाद लिया और परीक्षा में पास होने के लिए उनके मार्गदर्शन के लिए उनका का धन्यवाद किया | साथ ही इंटरव्यू की तैयारी कैसी की जाए इस बारे में उनकी राय पूछी | शिक्षक महोदय ने महक को बहुत ही उच्च स्तर के इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग दिखाई और बताया कि अपने विषय से सम्बंधित छोटी – छोटी बात की भी जानकारी के साथ – साथ आप समाज की किस तरह से मदद कर सकते हो आदि के बारे में जानकारी एकत्र करो | अपना आत्मविश्वास बनाए रखो | महक को अब अपनी सफलता का पूरा – पूरा भरोसा लगने लगा | उसने शिक्षक महोदय का धन्यवाद किया और अपनी तैयारी में जुट गयी | इंटरव्यू बहुत ही अच्छा हुआ और कुछ दिन बाद ही इसका परिणाम भी आ गया | महक का चयन तहसीलदार के पद पर गांव के पास की ही तहसील में हुआ | महक के माता – पिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | गाँव के लोग भी महक की इस उपलब्धि पर बहुत खुश थे |
गाँव की खेतिहर मजदूर की लड़की महक अब तहसीलदार बन चुकी थी | महक ने सबसे पहले अपने गाँव में ही एक हायर सेकेंडरी स्कूल का निर्माण उसी जमीन पर करवाया जहां उसके माता – पिता ने अपनी झोपड़ी बनायी थी ताकि बच्चों को अपनी उच्च शिक्षा के लिए दूर तहसील न जाना पड़े | अब गाँव के जमींदार भी महक के योगदान की सराहना करने लगे | इसके बाद उसने गाँव के हर एक घर में बिजली , पानी की व्यवस्था का जिम्मा लिया और गाँव में सड़क का काम भी करवाया |
महक अपने गाँव और अपने जिले के लिए एक मिसाल बन गयी | महक ने अपने नाम के अर्थ को चरितार्थ कर दिया | महक का सपना पूरा हुआ | महक ने अपने माता – पिता को भी खेतिहर मजदूर के तमगे से मुक्त करा दिया | महक के माता – पिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | एक खेतिहर मजदूर की बेटी आज लोगों की प्रेरणा का स्रोत बन गयी |

Language: Hindi
10 Likes · 20 Comments · 1615 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।
Neeraj Agarwal
जय शिव शंकर ।
जय शिव शंकर ।
Anil Mishra Prahari
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
आर.एस. 'प्रीतम'
ऐ सावन अब आ जाना
ऐ सावन अब आ जाना
Saraswati Bajpai
जिंदगी में जो मिला सब, सिर्फ खोने के लिए(हिंदी गजल गीतिका)
जिंदगी में जो मिला सब, सिर्फ खोने के लिए(हिंदी गजल गीतिका)
Ravi Prakash
बात कलेजे से लगा, काहे पलक भिगोय ?
बात कलेजे से लगा, काहे पलक भिगोय ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
फारवर्डेड लव मैसेज
फारवर्डेड लव मैसेज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वादा
वादा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
Paras Nath Jha
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
Rituraj shivem verma
यादें
यादें
Dinesh Kumar Gangwar
उजियारी ऋतुओं में भरती
उजियारी ऋतुओं में भरती
Rashmi Sanjay
मुरली कि धुन
मुरली कि धुन
Anil chobisa
"कवि के हृदय में"
Dr. Kishan tandon kranti
याद हमारी बहुत आयेगी कल को
याद हमारी बहुत आयेगी कल को
gurudeenverma198
कितना ज्ञान भरा हो अंदर
कितना ज्ञान भरा हो अंदर
Vindhya Prakash Mishra
मेरे तात !
मेरे तात !
Akash Yadav
*सपनों का बादल*
*सपनों का बादल*
Poonam Matia
*अध्यापिका
*अध्यापिका
Naushaba Suriya
याराना
याराना
Skanda Joshi
*प्यार या एहसान*
*प्यार या एहसान*
Harminder Kaur
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
अनुभूत सत्य .....
अनुभूत सत्य .....
विमला महरिया मौज
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
surenderpal vaidya
#लघुकविता
#लघुकविता
*Author प्रणय प्रभात*
शिछा-दोष
शिछा-दोष
Bodhisatva kastooriya
आज हमने उनके ऊपर कुछ लिखने की कोशिश की,
आज हमने उनके ऊपर कुछ लिखने की कोशिश की,
Vishal babu (vishu)
Please Help Me...
Please Help Me...
Srishty Bansal
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
Sampada
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
Ajad Mandori
Loading...