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2 Jul 2024 · 1 min read

महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया

महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
चुभते नहीं मुझको कांटे यहाँ पर
दर्द का एहसास अब होता नहीं
समुंदर सुख सा गया है आँखों का
अब किसी भी शोक में नीर बहते नहीं
लोग कहते है की मैं मर सा गया हूँ
पर मैं जिंदा हूँ बस जिंदा होने का एहसास कहा है
पहले जो फिक्र थी वो अब करता नहीं
वो रूठे तो हर कोशिस कर मनाया उनको
हम रूठे तो वो तन्हा छोड़कर रास्ते बदल लिए
वो लोट आते सायद पर जाने वाले को बुलाते नहीं

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