महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
चुभते नहीं मुझको कांटे यहाँ पर
दर्द का एहसास अब होता नहीं
समुंदर सुख सा गया है आँखों का
अब किसी भी शोक में नीर बहते नहीं
लोग कहते है की मैं मर सा गया हूँ
पर मैं जिंदा हूँ बस जिंदा होने का एहसास कहा है
पहले जो फिक्र थी वो अब करता नहीं
वो रूठे तो हर कोशिस कर मनाया उनको
हम रूठे तो वो तन्हा छोड़कर रास्ते बदल लिए
वो लोट आते सायद पर जाने वाले को बुलाते नहीं