Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2021 · 1 min read

महकता जीवन

महकता जीवन

याद है मुझको तुम्हारी निगाहों का
मेरी निगाहों से टकरा जाना
लिखना कुछ मेज पर तुम्हारा
और फिर उसको मिटा देना
दबाकर दांत उंगली में
ढक्कन पेन का चबा जाना
रह रह कर देखना पलटकर
फिर निगाहें चुरा लेना
इशारों को अगर समझ कर
पहचान लिया होता
नहीं होता मेरे हमदम कभी
फिर जिंदगी भर रोना।

कशमकश ए जिंदगी से निकलकर
गर तुम्हे समझ लिया होता
निगाहों की जबां को भी
अगर मैने पढ़ लिया होता
कभी बना बहाना कॉपी का
कभी किसी किताब की दरकार
किसी न किसी बहाने ही सही
घर तेरे पहुंच गया होता
ना बदरंग ये गुलिस्तां होता
और न ये चमन ही सूना होता
हाथ होता तेरा मेरे हाथो में
और महकता ये जीवन होता

आज फिर इक बार प्रिए
तेरा मेरा साथ है
ना सही हाथों में हाथ लेकिन
जीवन भर का साथ है
रब ने फिर मिलाया है हमको
कुछ बात तो इसमें है जरूर
कुछ तो उसने भी सोचा होगा
क्यूं प्रेम अभी भी इन दिलों में है
ईश्वर प्रदत्त इस प्रेम को
अब मंजिल तक पहुंचाना है
स्वीकार कर इस प्रेम को हमें
जीवन अपना सफल बनाना है

जीवन अपना सफल बनाना है।

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्यप्रदेश)

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 1 Comment · 384 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from इंजी. संजय श्रीवास्तव
View all
You may also like:
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Reaction on RGKAR medical college incident
Reaction on RGKAR medical college incident
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
परिस्थितियां बदलती हैं हमारे लिए निर्णयों से
परिस्थितियां बदलती हैं हमारे लिए निर्णयों से
Sonam Puneet Dubey
भगवान की पूजा करने से
भगवान की पूजा करने से
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
इश्क़ में किसी मेहबूब की बाहों का सहारा हो गया ।
इश्क़ में किसी मेहबूब की बाहों का सहारा हो गया ।
Phool gufran
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
Suryakant Dwivedi
अनंत नभ के नीचे,
अनंत नभ के नीचे,
Bindesh kumar jha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
लेकिन क्यों ?
लेकिन क्यों ?
Dinesh Kumar Gangwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
हाले दिल
हाले दिल
Dr fauzia Naseem shad
आसमान की छोड़ धरा की बात करो।
आसमान की छोड़ धरा की बात करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
24/240. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/240. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बासी रोटी...... एक सच
बासी रोटी...... एक सच
Neeraj Agarwal
न ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियां की भीड़ में..
न ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियां की भीड़ में..
पूर्वार्थ
"नेवला की सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
पहचाना सा एक चेहरा
पहचाना सा एक चेहरा
Aman Sinha
*राजकली देवी: बड़ी बहू बड़े भाग्य*
*राजकली देवी: बड़ी बहू बड़े भाग्य*
Ravi Prakash
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
दिव्य बोध।
दिव्य बोध।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्या जनता दाग धोएगी?
क्या जनता दाग धोएगी?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों  के नाम भी होते हैं 
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों  के नाम भी होते हैं 
Atul "Krishn"
भगवान भी रंग बदल रहा है
भगवान भी रंग बदल रहा है
VINOD CHAUHAN
Loading...