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22 Oct 2021 · 1 min read

महंगी हुई सब्जियां

– – ० ० कुंडलिया ० ०- –

महंगी हुई सब्जियां, गगन छू रहे दाम।
पतीली उपेक्षित पड़ी, भूख का है कोहराम।।
भूख का है कोहराम, काम सब बंद पड़े हैं।
देणदार मास्क में, घर लेणदार खड़े हैं।।
कह “सिल्ला” कविराय, कितनी भारी बहंगी।
कैसे होए बसर, खाद्य वस्तुएं महंगी।।

-विनोद सिल्ला

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