महँगाई
अइसे ना उकेरीं हाई जिनिगी के खोल के ।।
ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के ।
ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के ।
महँगा अनाज भइल खरी तेल खार में ,
नन्हका का खाई खइहें गोरुआ उधार में ,
पियल जाई सतुआ का मोबिल में घोल के ।
ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के ।
ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के ।
दवा बिनु होत नइखे दुआ कुबूल हो ,
डकटर झटक देता बोले जुलूल हो ,
केहू नइखे बुझे वाला जिनिगी के मोल के ।
ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के ।
ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के ।
घीव भात खाला केहू जिये उपास में ,
केहू बतलावे खूब प्रोटीन बा मास में ,
संसद में बईठ केहू आँकेला झोल के ।
ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के ।
ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के ।
केहू चनरमा के भुइयां उतारेला ,
मंगल पर जीवन ह जंगल के जारेला ,
हमनी पे बात दिल कइला ना खोल के ।
ए हो सरकार बढ़े दाम पेटरोल के ।
ए मोदी बाबा बढ़ता दाम पेटरोल के ।
✍️ धीरेन्द्र पांचाल