*मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल (कुंडलिया)*
मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल (कुंडलिया)
मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल
पाना इसको है अगर, खिड़की दो हर खोल
खिड़की दो हर खोल, न चिंता रखना प्यारे
मजा न देती जीत, जीतते वह जो हारे
कहते रवि कविराय, मुफ्त है बेहद सस्ती
बच्चों की मुस्कान, फूल में बसती मस्ती
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451