मस्ती प्रेम भरा जीवन हो
मस्ती प्रेम भरा जीवन हो
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खींच रही है आज सभी को,ऐशो आराम भरी चीजें।
भोग अगर कल रोग बने तो,यार कभी तू लत ना कीजै।।
कोठी बँगले कार लिए है,
पैसा ज़्यादा कम प्यार लिए है,
सच्चाई से मुँह मोड़े है,
झूठों का अधिकार लिए है,
संपन्न बने पर कैसे भी,करे बुराई पर दिल न पसीजे।
लोग दिखावा मन को भाये,रोटी छोड़े खाए पीज्जे।।
माल मिलावट का बेच रहा है,
प्राण किसी के वो खींच रहा है,
खुद का घर भरने को देखो,
काम बड़ा कर नीच रहा है,
छल जीत कभी जीत नहीं है,लो इंसानी प्यार तमीज़े।
फौजी हों कुर्बान वतन पर,सीख ज़रा उनसे ही लीजै।।
लड़ता लड़वाता रहता है,
बस लाभ उठाता रहता है,
ताक़त सत्ता पाने खातिर,
बल दाँव चलाता रहता है,
बगुला भक्त बना फिरता है,मन का काला और सहेजे।
चार दिनों की भोग चाँदनी,रोए अगले देख नतीजे।।
मेहनत करो सोच बढ़ाओ,
रोज पसीना ख़ूब बहाओ,
अपने जैसा समझ और को,
भाईचारा यार निभाओ,
मानवता का धर्म निभाओ,सीख सभी को हँसके दीजै।
मस्ती प्रेम भरा जीवन हो,यार तनाव न प्रीतम लीजै।।
–आर.एस.प्रीतम
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