एक मशाल तो जलाओ यारों
एक मशाल तो जलाओ यारों,
सदियों से यहां अंधेरा है।
अंधविश्वासों के मकड़जाल ने,
पूरे समाज को ही घेरा है।
एक मशाल तो . . . . . .
मनगढ़ंत किस्से और कहानियों ने,
मानसिक गुलाम बना दिया है।
अज्ञानता के सागर में डूबे हुए हैं।
अंजाने डर ने बेजुबान बना दिया है।
अंजाने डर को डरा कर तो देखो,
आगे तेरे हौसलों का पहरा है।
एक मशाल तो . . . . . .
रात कटती ही नहीं,
और सदियां बीत गई है।
अमावस की काली रात जैसी है,
चांद है कि निकलती ही नहीं है।
हिम्मत भी अब जवाब देने लगी है,
नियति को मंजूर जैसे अंधेरों का डेरा है।
एक मशाल तो . . . . . .
ज्ञान का प्रकाश कर लो,
अंधेरा अपने आप मिट जायेगा।
मानने से पहले तर्क और वितर्क कर लो,
हर शंका का समाधान हो जायेगा।
प्रकृति का समय निश्चित है,
हर रात के बाद सुरमय सवेरा है।
एक मशाल तो . . . . . .
नेताम आर सी