मशहूर हो गया कोई शोहरत लिए बगैर।
मशहूर हो गया कोई शोहरत लिए बगैर।
लौट जाओ तुम कोई तोहमत लिए बगैर।
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मेहमान सा सुलूक खुद अपने रकीब से।
कैसे वो खुश रहेगा अदावत लिए बगैर।
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दुनिया की दास्तान सुनाते रहे हैं हम।
अपने दिलों में अपनी हिकायत लिए बगैर।
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जिंदगी लुटा दी किसी और के लिए।
जलती हुई शमा है शिकायत लिए बगैर।
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तुझे कोई भी बात छुपाते नही है हम।
हर बात कह दी बारे नदामत लिए बगैर।
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दुनिया से बिना इश्क किए जाएं क्यों मियां।
मर जाएं कैसे उसकी मुहब्बत लिए बगैर।
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जी चाहता है उस से मुहब्बत किया करें।
इकतरफा करूं इश्क़ इजाजत लिए बगैर।
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किस्सा गम ए हयात का करते रहो रकम।
नामो नुमूद और कोई चाहत लिए बग़ैर।
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तन्हा हूं मैं सगीर मेरी जात अंजुमन।
मैं खुश हूं किसी की भी हिमायत लिए बगैर।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी