मर्यादा और राम
मर्यादा का भगवान राम जी से गहरा ताल्लुक रहा है,
मर्यादा का दूसरा रूप राम है और,
राम की छवि ही संस्कार हैं।
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पिता की आज्ञा पाकर 14 वर्ष का वनवास पाना,
अपने अनुजों की रक्षा हेतु सर्वस्व न्यौछावर करना,
एक धोबी के कहने पर पतिव्रता स्त्री की अग्निपरीक्षा,
उनकी सत्यता और गौरव का प्रतीक है।
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दुश्मन को भी क्षमा के अवसर देना,
छोटी-छोटी चूकों को समझ बूझ से माफ करना,
उनकी विनयशीलता का प्रमाण है।
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दुश्मन को कभी निर्बल न समझना,
सदैव शांति और सौम्यता बनाए रखना,
भगवान राम की श्रेष्ठता का रूप है।
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दुश्मन को भी शान्ति प्रस्ताव भेजना,
दुर्बल और नि:सहाय का सबल बनना,
उनकी विदेश नीति का प्रतीक रहा।
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माता पिता को कटु वचन न कहना,
दुःख की स्थिति में स्थितप्रज्ञा बने रहना,
उनकी धैर्यशीलता का प्रमाण है।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी,
निगमित निकाय भारत सरकार,
शिमला हिमाचल प्रदेश।