मर्दों वाली बात
हर किसी के अंदर एक उभर रहा दर्द है ।
मैं जिसकी बात कर रहा हु वो एक मर्द है ।
कभी टूटे हुए क्या उसे किसी ने देखा है
हर गम को ख़ुद में पीते हुए किसी ने देखा है ।
जिसके अंदर ये दर्द छुपाने की शक्ति है
वही असल मे मर्दों वाली हस्ती है ।
ये एक पीड़ा है , जो दर्द है ।
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है ।
परिवार की चिंता , घर को भी चलाना है
बच्चों की खुशियां से लेकर घर को ऊपर भी उठाना है ।
भले टूटा हो अंदर से , सोया नही हो रात भर
एक प्यारी सी स्माइल लेकर फिर भी खुश नजर आना है ।
ये एक पीड़ा है जो दर्द है
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है ।
वो ऑफिस में बॉस से भी डाँट खाई है
सारे दिन काम करके उसकी आंखें भर आयी है ।
लेकिन जब परिवार के पास वो शाम को जाता है
सारे दर्द को अंदर दबाए उसमें मर्द वाली हस्ती जग आयी है ।
वो सुपरमैन भी है , वो अपने घर के लिए नायक है ।
खुशिया बाटता हुआ वो एक जननायक है
बाहर उसकी बस इतनी सी कहानी है ।
ये लड़का है इसकी तो अभी पूरी जवानी है
अगर कर दे थोड़ी सी गलतियां तो
समाज झट से कहती है ये इसी लायक है ।
ये एक पीड़ा है , जो दर्द है
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है ।
उसके लिए परिवार हमेशा सबसे ऊपर है ।
सारी चिंताओं का बोझ उसी के सर के ऊपर है ।
वो सारा दिन घर के बाहर भले बिताता हो
घर आते ही अलग ही खुशियां उसके घर पर है ।
वो दुनिया से भी लड़ा , वो खुशियां से भी लड़ा
फिर भी वो आज भी है डटकर खड़ा
वो एक मर्द है जिसके अंदर ये पीड़ा है ।
उम्मीदों की घड़ी लिए वो आज भी जी रहा है ।
ये सिर्फ एक बातें नही , हर मर्द की कहानी है ।
उनकी आधी ज़िन्दगी दर्द में गुजर जानी है ।
जिसके अंदर ये सारे दर्द है ।
असल में वो ही मर्द है ।
वो चाय सुट्टा हाथ मे लिए बेफिक्र धुंए उड़ाता है ।
पाई पाई जोड़कर फिर भी पैसे बचाता है
वो परिवार के लिए हर वक़्त एक योद्धा है
जिसके बिना ये जिंदगी गड्ढा ही गड्ढा है ।
फिर भी ये सोसायटी कहते अरे तुम तो लड़का है ।
दर्द को अपना साथी मानो ये तो उम्र भर का है
ये एक पीड़ा है जो दर्द है ।
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है
वो बहन के लिए भाई भी है ,
वो माँ के लिए बेटा भी
शरारतें उसकी बहुत सारी
लेकिन खुशियां अनगिनत देता भी ।
वो एक दर्द है , जिसके अंदर छुपा मर्द है ।
वो गर्मी में गर्मी तो ठंडी में सर्द है ।
उसके पास रोने के कई वज़ह है मगर
वो दर्द से अंदर लड़ता है ।
ख़ुद से भी बातें करता है
उसके अंदर कई पीड़ा है , या कहे दर्द है
जो इन सबको सह ले असल मे वो मर्द है ।
International Men’s Day !
– हसीब अनवर