Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2019 · 3 min read

मर्दों वाली बात

हर किसी के अंदर एक उभर रहा दर्द है ।
मैं जिसकी बात कर रहा हु वो एक मर्द है ।
कभी टूटे हुए क्या उसे किसी ने देखा है
हर गम को ख़ुद में पीते हुए किसी ने देखा है ।
जिसके अंदर ये दर्द छुपाने की शक्ति है
वही असल मे मर्दों वाली हस्ती है ।
ये एक पीड़ा है , जो दर्द है ।
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है ।
परिवार की चिंता , घर को भी चलाना है
बच्चों की खुशियां से लेकर घर को ऊपर भी उठाना है ।
भले टूटा हो अंदर से , सोया नही हो रात भर
एक प्यारी सी स्माइल लेकर फिर भी खुश नजर आना है ।
ये एक पीड़ा है जो दर्द है
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है ।
वो ऑफिस में बॉस से भी डाँट खाई है
सारे दिन काम करके उसकी आंखें भर आयी है ।
लेकिन जब परिवार के पास वो शाम को जाता है
सारे दर्द को अंदर दबाए उसमें मर्द वाली हस्ती जग आयी है ।
वो सुपरमैन भी है , वो अपने घर के लिए नायक है ।
खुशिया बाटता हुआ वो एक जननायक है
बाहर उसकी बस इतनी सी कहानी है ।
ये लड़का है इसकी तो अभी पूरी जवानी है
अगर कर दे थोड़ी सी गलतियां तो
समाज झट से कहती है ये इसी लायक है ।
ये एक पीड़ा है , जो दर्द है
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है ।
उसके लिए परिवार हमेशा सबसे ऊपर है ।
सारी चिंताओं का बोझ उसी के सर के ऊपर है ।
वो सारा दिन घर के बाहर भले बिताता हो
घर आते ही अलग ही खुशियां उसके घर पर है ।
वो दुनिया से भी लड़ा , वो खुशियां से भी लड़ा
फिर भी वो आज भी है डटकर खड़ा
वो एक मर्द है जिसके अंदर ये पीड़ा है ।
उम्मीदों की घड़ी लिए वो आज भी जी रहा है ।
ये सिर्फ एक बातें नही , हर मर्द की कहानी है ।
उनकी आधी ज़िन्दगी दर्द में गुजर जानी है ।
जिसके अंदर ये सारे दर्द है ।
असल में वो ही मर्द है ।
वो चाय सुट्टा हाथ मे लिए बेफिक्र धुंए उड़ाता है ।
पाई पाई जोड़कर फिर भी पैसे बचाता है
वो परिवार के लिए हर वक़्त एक योद्धा है
जिसके बिना ये जिंदगी गड्ढा ही गड्ढा है ।
फिर भी ये सोसायटी कहते अरे तुम तो लड़का है ।
दर्द को अपना साथी मानो ये तो उम्र भर का है
ये एक पीड़ा है जो दर्द है ।
हा वो मर्द है , हा वो मर्द है
वो बहन के लिए भाई भी है ,
वो माँ के लिए बेटा भी
शरारतें उसकी बहुत सारी
लेकिन खुशियां अनगिनत देता भी ।
वो एक दर्द है , जिसके अंदर छुपा मर्द है ।
वो गर्मी में गर्मी तो ठंडी में सर्द है ।
उसके पास रोने के कई वज़ह है मगर
वो दर्द से अंदर लड़ता है ।
ख़ुद से भी बातें करता है
उसके अंदर कई पीड़ा है , या कहे दर्द है
जो इन सबको सह ले असल मे वो मर्द है ।

International Men’s Day !

– हसीब अनवर

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 1064 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रोशनी
रोशनी
Neeraj Agarwal
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"बदतर आग़ाज़" कभी भी एक "बेहतर अंजाम" की गारंटी कभी नहीं दे सक
*प्रणय*
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
नाटक नौटंकी
नाटक नौटंकी
surenderpal vaidya
"ऊपर वाले को बेवकूफ समझते हैं लोग ll
पूर्वार्थ
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
Dr Archana Gupta
सबकुछ झूठा दिखते जग में,
सबकुछ झूठा दिखते जग में,
Dr.Pratibha Prakash
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
gurudeenverma198
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कभी आ
कभी आ
हिमांशु Kulshrestha
*होठ  नहीं  नशीले जाम है*
*होठ नहीं नशीले जाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3579.💐 *पूर्णिका* 💐
3579.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
VINOD CHAUHAN
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
जगदीश शर्मा सहज
इश्क में आजाद कर दिया
इश्क में आजाद कर दिया
Dr. Mulla Adam Ali
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
Sonam Puneet Dubey
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
कवि दीपक बवेजा
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
Ajit Kumar "Karn"
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
Neelam Sharma
# TRUE THING
# TRUE THING
DrLakshman Jha Parimal
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
Ravi Prakash
स्वर्ण दलों से पुष्प की,
स्वर्ण दलों से पुष्प की,
sushil sarna
अक्सर समय बदलने पर
अक्सर समय बदलने पर
शेखर सिंह
जो हमने पूछा कि...
जो हमने पूछा कि...
Anis Shah
सीमा पार
सीमा पार
Dr. Kishan tandon kranti
49....Ramal musaddas mahzuuf
49....Ramal musaddas mahzuuf
sushil yadav
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
Loading...