मर्दाना हँसी ताक़तवर हँसी *मुसाफिर बैठा
हँसी यदि खुली हुई हो
बेलौस बेपरवाह बेहद हो
अट्टहास भरी हो
और हो उच्छृंखलता सनी
पितृसत्तात्मक या कि बंद समाज में
अनहद अर्थ उगाहने वाली
एक औरत की हो तो
बेशक वह मुहावरे की
मर्दाना हँसी होती है।
बन्द समाज में
एक औरत का
ताक़त भरी हँसी हँसना
स्वाभाविक हँसी हँसना
मना है
सख्त मना है!
अपनी हँसी में ताक़त भरते ही औरत
स्वाभाविक रूप से हसीन हो जाती है
उधर, हसीन के दुनियावी संस्कारी पैमाने पर
ऐसी बली हँसी पाते ही वह
हुस्न से हीन मानी जाती है!