मर्ज है मर्ज की बस दवा दे मुझे।
थोड़ा इसे देखिए
मर्ज है मर्ज की कुछ दवा दे मुझे।
जिंदगी मौत से अब मिला दे मुझे।
राह काटों भरी यार चलता रहा-
आज फूलों भरा रास्ता दे मुझे।
दर्द दिल में मेरे मैं लिए चल रहा-
दर्द से कोई अब फासला दे मुझे।
हर फरफ है नज़र स्वार्थ से ही भरी-
नज्र फ़ज़्लो भरी ऐ खुदा दे मुझे।
साँस ये मुख़्तसर जब तलक ही चले-
अत्फ़ का इक नजारा दिखा दे मुझे।
तू हयात-ए-मुसव्विर है सबका खुदा-
मैं मिलूं आज खुद से मिला दे मुझे।
हैं परेशां सचिन तुझसे ऐं जिंदगी-
रास्ता आक़िबत का बतादे मुझे।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’