मर्ज उसका
मर्ज उसका है, दर्द में, मैं दिखता हूँ।
खरीदता वो है, बिकता मैं दिखता हूँ।
भले ही चमकता वो है, बेरंग मैं दिखता हूँ।
कीमत है यहा सबकी, बेकीमत मैं दिखता हूँ।
अदा अपनी निराली नही, फिर भी सबसे निराला मैं दिखता हूँ।
वो खुदा है मेरा , पर यहा आज उसकी नजरों मे ना कुछ मैं दिखता हूँ।
देने वाला है वो खुदा, लेने वाला बस मैं दिखता हूँ।
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* Swamganganiya *