मरी हुई आत्मा
(देश की बेबस बेटियों को समर्पित)
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मरी हुई आत्मा
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मेरी आत्मा
मर चुकी है
पहले ठीक थी
एक घटना घटी
मैने आत्मा को मारना
बेहतर समझा
मेरे पड़ोसी की
आत्मा भी
मर चुकी है।
तुम भी
मार डालो
अपनी आत्मा को।
नहीं तो
समय मार देगा ।
जब आत्मा मर जायेगी !
तो केवल देह
बन कर घूमेंगे
सिर्फ सांस लेंगे
आंख से देखेंगे
कान से सुनेंगे
दिल धड़केगा
जिव्हा बोलेगी
बस शब्द होंगे
जब आत्मा
मरी होगी
भाव कहां होंगे ?
सब कुछ होगा
बस प्रतिक्रिया
नहीं होगी !
क्योंकि आत्मा
है मर चुकी
हमारी
हम केवल देहयुक्त हैं;
इसलिये दायित्वमुक्त हैं !
हम डरे
नहीं हैं
हम सहमे
नहीं हैं।
हम चाहते हैं
कोई कुछ करे!
हम नहीं करेंगे;
हम बस डरेंगें !
हम कहते तो हैं !
अपनी बात!
कोई सुनता ही नहीं !
कौन सुने ?
क्यों सुने ?
जब तुम
खुद की नहीं सुनते !
क्योंकि तुम हो ?
मरी हुई आक्माओं के
दबे कुचले लोग।
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राजेश’ललित’