मरीचिका
अभी मैने गुसलखाने मे प्रवेश ही किया था कि मोबाइल फोन बज उठा,…”उफ्फफ… ये फोन को भी तभी बजना होता है जब मुझे नहाना होता है”।मै बड़बड़ाई।फिर सोचा पहले स्नान से निपट ही लूँ फिर कालबैक कर लूँगी।
नहाकर बाहर आते ही फोन चैक किया तो देखा विनी की दो मिस्डकॉल पड़ी थी।विनी यानि विनीता मेरी स्कूल के समय से दोस्त है।मैने उस स्कूल मे अभी अभी प्रवेश लिया था और विनी वहाँ पहले से ही पढ़ा करती थी।हम दोनों एक ही कक्षा थे।विनी बेहद चंचल और हँसमुख लड़की थी ।उसके इसी गुण की वजह से उसने मुझे बरबस आकर्षित कर लिया था और बातूनी होने की वजह से उसने जल्द ही मुझसे दोस्ती भी कर ली।मै भी एक नयी जगह मे एक हँसमुख और प्यारी दोस्त पाकर बेहद खुश थी।लेकिन दो वर्ष साथ पढ़ने के बाद एक दिन वह अचानक स्कूल छोड़कर कहीं अन्यत्र चली गई।उसके पिताजी का स्थानांतरण हो गया था।यह बात मुझे बहुत बाद मे उसके एक पड़ोसी लड़की से पता चली।
वर्षों बाद एक दिन अचानक मुझे अनजान नँबर से काल आई।मैने काल उठाई तो प्रत्युत्तर मे विनी की आवाज सुनकर मै खुशी से झूम उठी।मैने उसके अचानक बिन बताए चले जाने पर नाराजगी जताई।फिर उसने अपने जाने की पूरी कहानी बताई।साथ ही यह भी बताया कि उसका विवाह हो चुका है और उसकी एक वर्ष की प्यारी सी बिटिया भी है।अब वह फिर से इसी शहर मे शिफ्ट हो गई है।यह सुनकर मेरी खुशी दुगनी हो गई।हमने जल्द मिलने का प्लान बनाया और मिले भी।इ स तरह हमारी दोस्ती फिर से आगे बढ़ने लगी,जो अब तक जारी है।घर की जिम्मेदारी और बच्चों की परवरिश की वजह से हम लोग कम मिल पाते हैं लेकिन फोन पर कभी कभी बात चीत होती रहती है।
छह महीने पहले एक दिन उसका फोन आया और बातों बातों मे उसने मुझे बताया कि फेसबुक पर उसके पूर्व प्रेमी नमित की फ्रैड रिक्वेस्ट आई है।मैने पूछा,”तो फिर”?उसने थोड़ी नाराजगी से कहा कि मैने एक्सेपट ही नहींँ की।लेकिन क्यों?मेरे इस प्रश्न पर उसने थोड़ा और नाराज होते हुए कहा ,”क्यों करती एक्सेपट?ऐसे कहाँ चला गया था वह बिन बताए…और अब क्यों वापस आया”?ओह….तो ये बात है…मै मुस्कराई।
आज फिर ऊसकी कॉल आई थी।जल्दी से उसे कॉल लगाई।तुरन्त काल रिसीव हो गई।”इतनी बेसब्री से किसका इन्तजार था”?मैने चुटकी लेते हुए पूछा।”अरे तेरे ही काल का इन्तजार कर रही थी यार”।उसने जवाब दिया।फिर बातों ही बातों मे वह अचानक बोली,”नीतू!नमित की फिर रिक्वेस्ट आई थी।”अच्छा!फिर?मैने पूछा।”फिर क्या?खूब खरी खोटी सुनाई मैने उसे”।अच्छा, क्या कह रहा था वह?जवाब मे उसने बताया कि वह अपनी इंजीनियरिंग की पढाई के लिए दिल्ली चला गया था।जब भी छुट्टियो मे घर जाता था तो मुझ से मिलना चाहता था ,लेकिन मै तो शहर छोड़ चुकु थी।”शहर ही तो छोड़ के गयी थी,देश छोड़कर तो नहींँ”।मैने तनिक सख्त लहजे मे कहा।”हाँ,यही मैने भी उससे कहा”।विनी ने जवाब दिया।लेकिन उसने बताया कि अपने स्तर पर उसने मुझे बहुत ढूँढा और फिर यह सोचकर इन्तजार मे रहा कि एक दिन मै वापस लौटूँगी।पाँच वर्ष वह अपनी इंजीनियरिंग की पढाई मे व्यस्त रहा।जब वापस लौटा,तब तक मेरी शादी हो चुकी थी।”उसने तुझ से सम्पर्क करने का प्रयास क्यों नहींँ किया”?मैने फिर प्रश्न किया।”अरे वह कैसे सम्पर्क करता ?तब न मोबाइल फोन थे न सोशल साईट”!”ओह…हाँ, यह भी सही है”।मैने ठंडी साँस लेकर कहा।
हम उन दिनों दसवीं कक्षा मे थे,जब विनी और नमित की दोस्ती हुई थी।नमित विनी के पड़ोस मे ट्यूशन के लिए आता था।विनी के पड़ोसी शिरीश से उसकी दोस्ती थी।नमित पहले शिरीश के घर आता था और फिर वह दोनों साथ ट्यूशन के लिए जाते थे।एक दिन किसी काम से शिरीश ट्यूशन से लौटते हुए विनी के घर गया।साथ मे नमित भी था।वह नमित से विनी की पहली मुलाकात थी।फिर कई बार ट्यूशन से लौटते हुए नमित शिरीश के साथ विनी के घर आता जाता रहा।इस तरह दोनो मे पहले बातचीत फिर दोस्ती हो गई।यह दोस्ती कब दोनो के मन मे प्यार का रुप लेने लगी,इसकी खबर न विनी को थी न नमित को।दोनों एक दूसरे से मिलने और बात करने के लिए बेचैन रहने लगे।उनकी मोहब्बत परवान चढ़ती इससे पहले ही विनी के पिताजी का तबादला दूर एक पहाड़ी क्षेत्र मे हो गया।इधर नमित को भी अपनी पढ़ाई के लिए अपना शहर छोड़ दिल्ली जाना पड़ा।सम्पर्क साधनों के अभाव और जगहों की दूरी के कारण दोनों बस एक दूसरे का इन्तजार करते रहे।विनी इन्तजार कर रही थी कि नमित किसी तरह उससे सम्पर्क स्थापित कर ले और नमित उसके वापस लौटने का।
वर्षों तक वह एक दूसरे से नहींँ मिल पाए।अब विनी की उम्र विवाह योग्य हो गई थी।उन्हीं दिनों नरेन्द्र उनके पड़ोस मे रहने आए थे।नरेन्द्र की एक सरकारी संस्थान मे नयी नयी नियुक्ति हुई थी।नरेन्द्र और उसके परिवार को विनी बहुत पसन्द थी।नरेन्द्र जैसे सुन्दर,सुशील युवक का रिश्ता जब विनी के लिए आया तो विनी के परिवार ने उसको तुरन्त ही स्वीकार कर लिया।विनी और नरेन्द्र अपने पारिवारिक जीवन मे बेहद खुश भी थे।
अब वर्षों बाद फेसबुक के माध्यम से दोनों बिछड़े प्रेमी मिले।इस बात की मुझे भी खुशी थी लेकिन कहीं मन के अन्दर कुछ था जो मुझे बेचैन भी कर रहा था…..।
विनी अक्सर मुझसे फोन पर नमित की बातें करती रहती।अब वह दोनों रोज फोन पर घण्टों बातें करते।विनी इन दिनो बहुत खुश नजर आती थी।जो प्रेम कहानी तब अधूरी रह गयी थी,अब परवान चढ़ रही थी।इन दिनों विनी जब भी मुझसे नमित की बात करती है ,मैं बेचैन हो उठती हूँ।रह रहकर मुझे नरेन्द्र का ख़याल आ जाता है।यदि किसी दिन उनको इस बात का पता चले तो वह क्या बर्दाश्त कर पाएँगे?यदि वर्षों पुराना प्रेम प्रसंग उसके वर्तमान को असन्तुलित करे तो क्या ये बहुत बुरा नहींँ?
इन दिनों जब भी विनी मुझसे नमित की बात करती है,मैं बेचैन हो जाती हूँ।मैं उसे कहना चाहती हूँ,”विनी अब यह सब ठीक नहींँ।इस रिश्ते के अब कोई मायने नहींँ।यह उस मरीचिका के समान है जो दूर से पानी का भ्रम पैदा करता है लेकिन समीप जाने पर रुखी सच्चाई ही हाथ आती है”.. ….लेकिन फोन पर उसकी चहकती आवाज सुनकर कहने का साहस नहींँ जुटा पाती…।।
©निकीपुष्कर