Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2019 · 2 min read

मरीचिका

मरीचिका हँसती रही, लगा मनुज को बेंत।
मृत भू में जल ढ़ूढता,सच है केवल रेत।। १

मन मेरा भरमा गया, इक आशा की फाँस।
मरीचिका केवल दिखी, डूब रही है साँस।। २

साथ रही परछाइयाँ, रही न कोई पास।
मरीचिका बनकर दिया, एक सुखद अहसास।। ३

विवश विश्व फसता रहा, मरीचिका के जाल।
बचता कोई भी नहीं, चलती ऐसी चाल।। ४

सुन्दर सुखकर स्वप्न-सा सजता एक वितान।
सहस खींच लाता इधर, मरीचिका-सी भान।। ५

ऊपर से संतोष है, अंतस बढ़ता प्यास।
मरीचिका बेकल करे, हर पल रखे उदास।। ६

मरीचिका-सी जिन्दगी, उम्मीदों का जाल।
मृग मन मायाजाल में, भटक रहा बेहाल।। ७

गर्म हवा की हूँ लहर, जिसमें बढ़ती प्यास।
केवल दरिया रेत की, मरीचिका आभास।। ८

बनकर मायावी छले, मरीचिका रत्नार।
मन मृग-सा आतुर फिरे, पछताता हर बार।। ९

भरा हुआ है वेदना, मरीचिका के राह।
पागल-सा मानव फिरे, मिला नहीं मन चाह।। १०

परत खार की रेत पर, दिखती भ्रम का ताल।
प्यास बुझाती ही नहीं, मरीचिका जंजाल।। ११

जज्बातों की रेत पर पड़ी उम्र की धूप।
मरीचिकाओं से घिरा, घड़ियाँ बड़ी कुरूप।। १२

जला पतंगा दीप पर, खोया अपना प्राण।
भ्रांति ग्रस्त मन ने किया, मरीचिका निर्माण।। १३

तेज धूप में चल रहा, उम्मीदों के साथ।
मरीचिका के ही तरह, लग जाये कुछ हाथ।। १ ४

रंग-रूप दिखता चटख, मरीचिका के पास।
हुआ तृप्त कोई नहीं, ऐसी इसकी प्यास।। १ ५

माया, ममता, मोह में, फसा रहा इंसान।
मरीचिका भटका रही, जीवन रेगिस्तान।। १ ६

मरीचिका प्रिय प्रेम की, केवल भ्रम का अंश।
सिर्फ मौत मिलती यहाँ, सहना पड़ता दंश।। १ ७

स्वप्न जाल भ्रम का सुखद, मरीचिका की शान।
टूटा मिथ्या भ्रम सभी, हुआ सत्य का ज्ञान।। १८

कर्म विमुख चलते रहे, नहीं राह का ज्ञान।
बना दिया है जिन्दगी, मरीचिका श्मशान।। १९

मरीचिका मिथ्या रही, मन में पाले भांत।
मन केवल अभिभूत थी, हृदय नहीं था शांत।। २०

मरीचिका साहस भरे, ले जाता उस पार।
वह दिखलाता है हमें, सपनों का संसार।। २ १

मरीचिका भ्रम है मगर, होती है अनमोल।
ये समझाता है हमें, इस जीवन का मोल।। २२

भ्रम में पड़ कर जो किया, खुद को ही बर्बाद
पास शेष बचता नहीं, रह जाती फरियाद।।

-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
302 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
दोस्ती से हमसफ़र
दोस्ती से हमसफ़र
Seema gupta,Alwar
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (4)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (4)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
हसीनाओं से कभी भूलकर भी दिल मत लगाना
हसीनाओं से कभी भूलकर भी दिल मत लगाना
gurudeenverma198
पावस में करती प्रकृति,
पावस में करती प्रकृति,
Mahendra Narayan
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वसंततिलका छन्द
वसंततिलका छन्द
Neelam Sharma
*भर दो गणपति देवता, हम में बुद्धि विवेक (कुंडलिया)*
*भर दो गणपति देवता, हम में बुद्धि विवेक (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
एक शाम उसके नाम
एक शाम उसके नाम
Neeraj Agarwal
मोनू बंदर का बदला
मोनू बंदर का बदला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
Mahender Singh
नशा नाश की गैल हैं ।।
नशा नाश की गैल हैं ।।
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
समुद्र इसलिए खारा क्योंकि वो हमेशा लहराता रहता है यदि वह शां
समुद्र इसलिए खारा क्योंकि वो हमेशा लहराता रहता है यदि वह शां
Rj Anand Prajapati
#हिंदी_ग़ज़ल
#हिंदी_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
-- कैसा बुजुर्ग --
-- कैसा बुजुर्ग --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
घुटता है दम
घुटता है दम
Shekhar Chandra Mitra
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
Nitesh Kumar Srivastava
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
तुम से मिलना था
तुम से मिलना था
Dr fauzia Naseem shad
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
महादेव को जानना होगा
महादेव को जानना होगा
Anil chobisa
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
पहला प्यार - अधूरा खाब
पहला प्यार - अधूरा खाब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
प्रेमदास वसु सुरेखा
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"अदृश्य शक्ति"
Ekta chitrangini
At the end of the day, you have two choices in love – one is
At the end of the day, you have two choices in love – one is
पूर्वार्थ
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
Loading...