मरहम के नाम पर जख्म देकर कहाँ चल दिये
इश्क़ फरमाकर ज़नाब कहाँ चल दिए
मरहम के नाम पर ज़ख्म देकर कहाँ चल दिए
रोशन गलियों से निकाल कर
अँधेरे में छोड़कर कहाँ चल दिए
मरते दम तक साथ देने का वादा देकर
आधी राह में छोड़ कर कहाँ चल दिए
खुशियों के तालाब में
समुंद्र का पानी देकर कहाँ चल दिए
स्वतंत्र आकाश में उड़ान भरते पंक्षी को
क़फ़स में कैद कर कहाँ चल दिए
क़ीमत लगाकर क़ल्ब की
नीलाम करने कहाँ चल दिए
मीठे मीठे सपने दिखाकर
ख़्वाब चुराकर कहाँ चल दिए
इश्क़ की आग में क़ल्ब को छोड़
फ़ुगां का उपहार देकर कहाँ चल दिए
फ़ुगां= दर्द भरी पुकार
रात दिन का पता नही अब
नींद को चुराकर कहाँ चल दिए
खिलौना नही है ज़िस्म मेरा
ज़िस्म की प्यास बुझाकर कहाँ चल दिए
जवानी का जश्न मना कर कहाँ चल दिए
अश्क़ों में डुबाकर भूपेन्द्र को कहाँ चल दिए
भूपेंद्र रावत
26।08।2017