*मरने से पहले अर्थी पर, जाने कितना सोना है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
मरने से पहले अर्थी पर, जाने कितना सोना है (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
जाने क्या-क्या हुआ, और अब जाने क्या-क्या होना है
मरने से पहले अर्थी पर, जाने कितना सोना है
2
बचपन-यौवन ब्याह-बरातें, हॅंसी-खुशी के पल सौ-सौ
आखिर में लेकिन सबको, क्यों अपनी ऑंख भिगोना है
3
स्वप्न कहूॅं क्या उस पल को, जब तुम रोजाना मिलते थे
निष्ठुर विधि का यह विधान, कैसा पाया सब खोना है
4
पुस्तक को खोला ही था, सहसा अंतिम पृष्ठ आ गया
यह दुर्घटना मानी जाए, या फिर जादू-टोना है
5
जिस से भी बातें कीं, उसके भीतर दर्द मिला कुछ-कुछ
हमने जाना भरा दुखों से, जग का कोना-कोना है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451