मरने से क्यों डरें
मरने से क्यों डरें , मौत तो 1 दिन आनी है ।आज नहीं तो फिर कभी ,अपने देश को छोड़कर क्यों चले ,
मरना तो है ही क्यों डरे , क्यों -2:::::::::::::: क्यों -2::::::::::।
तालिबान लाखों में ,तुम हो करोड़ों में।
इनकी पिस्टल मैं छे गोलीयां ,उसके बाद खत्म है।
बोलो इनको एकजुट होकर चले जाओ, यह हमारा वतन है ।
मरने से क्यों डरें मौत तो 1 दिन आनी है।
जहाजों से गिरकर क्यों मरे ,
हवाई अड्डे पर ये हजारों, में तुम हो वहां लाखों में ,छोड़ दो रोना ।
पहन लो हिम्मत का चोला ।
मरने से क्यों डरे मौत तो आनी है ,आज नहीं तो फिर कभी यह तो सब की दीवानी है।
हथियार तो प्रकृति भी हो सकता है ,
बस थोड़ा शांति से बैठो तो ।
डर कर नहीं डटकर हौसला तो करो ।
भाग कर कहां जाओगे ,अंत में शरणार्थी बन जाओगे ।क्यों किसी का इंतजार करें,
मरने से क्यों डरें ,मरना तो है ही।
अपने देश की हिफाजत में जान भी अगर चली जाए ,
मन में कोई कसक ना रहे देश पर हो कुर्बानी जाए ।
स्त्री हो कमजोर नहीं , क्यों डरती हो वह भगवान नहीं ।
मन में गुस्सा और जोश लाओ, कहे सुतीशा बढ़ते जाओ – चलते जाओ ।
अब नहीं तो फिर कभी मौत तो आनी है, मरने से क्यों डरें:::::::2।