*मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्या
मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्यामी छंद)
_________________________
मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है
सबकी मिटती ही रही सदा, धन-धरा-संपदा-काया है
सोचो क्या है वह एक वस्तु, जो तन में पाई जाती है
जल-जल जाती है देह मगर, वह अजर-अमर कहलाती है
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451