आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
मय को मेरे पास ही रहने पीने दे साकी,
तू दूर रह, सिर्फ़ मुझे निहारने दे साकी।
ज़ुर्रत रही नहीं, जफ़ाएं और झेलने की,
अपने जिगर के साथ, वफ़ा करने दे साकी।
हजार कोशिशों के बाद मिला है मयखाना,
बाकी रातें, मुझे मैकदे पे बिताने दे साकी।
वक़्त बीते मालूम हुई हुस्न की असलियत हमें,
जो हुआ सो हुआ, अब बे-गरज़ जीने दे साकी।
किस हद तक न किया, मज़ाज़ी इश्क़ हमने,
आख़िरी इश्क़ अब, प्यालों से करने दे साकी।