मयख्वारी
शीशे से भरा नस नस में
उठकर अब न चला जाये।
कोई सहारा देकर उठाये मुझे,
खुद से अब न उठा जाये।
अक्सर सोचा है मैंने मय पिये,
कि पीना छोड़ दिया जाये।
शीशे से भरा नस नस में
उठकर अब न चला जाये।
कोई सहारा देकर उठाये मुझे,
खुद से अब न उठा जाये।
अक्सर सोचा है मैंने मय पिये,
कि पीना छोड़ दिया जाये।